أَلَمْ نَشْرَحْ لَكَ صَدْرَكَ 1
(ऐ रसूल) क्या हमने तुम्हारा सीना इल्म से कुशादा नहीं कर दिया (जरूर किया)
और तुम पर से वह बोझ उतार दिया
जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी
और तुम्हारा ज़िक्र भी बुलन्द कर दिया
فَإِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا 5
तो (हाँ) पस बेशक दुशवारी के साथ ही आसानी है
إِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا 6
यक़ीनन दुश्वारी के साथ आसानी है
तो जब तुम फारिग़ हो जाओ तो मुक़र्रर कर दो
और फिर अपने परवरदिगार की तरफ रग़बत करो