सूरज की क़सम और उसकी रौशनी की
और चाँद की जब उसके पीछे निकले
وَالنَّهَارِ إِذَا جَلَّاهَا 3
और दिन की जब उसे चमका दे
وَاللَّيْلِ إِذَا يَغْشَاهَا 4
और रात की जब उसे ढाँक ले
और आसमान की और जिसने उसे बनाया
और ज़मीन की जिसने उसे बिछाया
और जान की और जिसने उसे दुरूस्त किया
فَأَلْهَمَهَا فُجُورَهَا وَتَقْوَاهَا 8
फिर उसकी बदकारी और परहेज़गारी को उसे समझा दिया
قَدْ أَفْلَحَ مَنْ زَكَّاهَا 9
(क़सम है) जिसने उस (जान) को (गनाह से) पाक रखा वह तो कामयाब हुआ
وَقَدْ خَابَ مَنْ دَسَّاهَا 10
और जिसने उसे (गुनाह करके) दबा दिया वह नामुराद रहा
كَذَّبَتْ ثَمُودُ بِطَغْوَاهَا 11
क़ौम मसूद ने अपनी सरकशी से (सालेह पैग़म्बर को) झुठलाया,
जब उनमें का एक बड़ा बदबख्त उठ खड़ा हुआ
فَقَالَ لَهُمْ رَسُولُ اللَّهِ نَاقَةَ اللَّهِ وَسُقْيَاهَا 13
तो ख़ुदा के रसूल (सालेह) ने उनसे कहा कि ख़ुदा की ऊँटनी और उसके पानी पीने से तअर्रुज़ न करना
فَكَذَّبُوهُ فَعَقَرُوهَا فَدَمْدَمَ عَلَيْهِمْ رَبُّهُمْ بِذَنْبِهِمْ فَسَوَّاهَا 14
मगर उन लोगों पैग़म्बर को झुठलाया और उसकी कूँचे काट डाली तो ख़ुदा ने उनके गुनाहों सबब से उन पर अज़ाब नाज़िल किया फिर (हलाक करके) बराबर कर दिया
और उसको उनके बदले का कोई ख़ौफ तो है नहीं