خُذْ مِنْ أَمْوَالِهِمْ صَدَقَةً تُطَهِّرُهُمْ وَتُزَكِّيهِمْ بِهَا وَصَلِّ عَلَيْهِمْ ۖ إِنَّ صَلَاتَكَ سَكَنٌ لَهُمْ ۗ وَاللَّهُ سَمِيعٌ عَلِيمٌ 103
(ऐ रसूल) तुम उनके माल की ज़कात लो (और) इसकी बदौलत उनको (गुनाहो से) पाक साफ करों और उनके वास्ते दुआएं ख़ैर करो क्योंकि तुम्हारी दुआ इन लोगों के हक़ में इत्मेनान (का बाइस है) और ख़ुदा तो (सब कुछ) सुनता (और) जानता है