لِتَسْتَوُوا عَلَىٰ ظُهُورِهِ ثُمَّ تَذْكُرُوا نِعْمَةَ رَبِّكُمْ إِذَا اسْتَوَيْتُمْ عَلَيْهِ وَتَقُولُوا سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ 13
ताकि तुम उसकी पीठ पर चढ़ो और जब उस पर (अच्छी तरह) सीधे हो बैठो तो अपने परवरदिगार का एहसान माना करो और कहो कि वह (ख़ुदा हर ऐब से) पाक है जिसने इसको हमारा ताबेदार बनाया हालॉकि हम तो ऐसे (ताक़तवर) न थे कि उस पर क़ाबू पाते