وَلِكُلِّ أُمَّةٍ رَسُولٌ ۖ فَإِذَا جَاءَ رَسُولُهُمْ قُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْقِسْطِ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ 47
और हर उम्मत का ख़ास (एक) एक रसूल हुआ है फिर जब उनका रसूल (हमारी बारगाह में) आएगा तो उनके दरमियान इन्साफ़ के साथ फैसला कर दिया जाएगा और उन पर ज़र्रा बराबर ज़ुल्म न किया जाएगा