إِنَّ اللَّهَ لَا يَظْلِمُ النَّاسَ شَيْئًا وَلَٰكِنَّ النَّاسَ أَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُونَ 44
ख़ुदा तो हरगिज़ लोगों पर कुछ भी ज़ुल्म नहीं करता मगर लोग खुद अपने ऊपर (अपनी करतूत से) जुल्म किया करते है