وَلَا يَحْزُنْكَ قَوْلُهُمْ ۘ إِنَّ الْعِزَّةَ لِلَّهِ جَمِيعًا ۚ هُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ 65
और (ऐ रसूल) उन (कुफ्फ़ार) की बातों का तुम रंज न किया करो इसमें तो शक़ नहीं कि सारी इज्ज़त तो सिर्फ ख़ुदा ही के लिए है वही सबकी सुनता जानता है