(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै ख़ुद अपना आप तो एख़तियार रखता ही नहीं न नफे क़ा न ज़रर का मगर बस वही ख़ुदा जो चाहे और अगर (बग़ैर ख़ुदा के बताए) गैब को जानता होता तो यक़ीनन मै अपना बहुत सा फ़ायदा कर लेता और मुझे कभी कोई तकलीफ़ भी न पहुँचती मै तो सिर्फ ईमानदारों को (अज़ाब से डराने वाला) और वेहशत की खुशख़बरी देने वाला हँ