فَبَدَّلَ الَّذِينَ ظَلَمُوا مِنْهُمْ قَوْلًا غَيْرَ الَّذِي قِيلَ لَهُمْ فَأَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ رِجْزًا مِنَ السَّمَاءِ بِمَا كَانُوا يَظْلِمُونَ 162
तो ज़ालिमों ने जो बात उनसे कही गई थी उसे बदल कर कुछ और कहना शुरू किया तो हमने उनकी शरारतों की बदौलत उन पर आसमान से अज़ाब भेज दिया