سَوَاءٌ عَلَيْهِمْ أَسْتَغْفَرْتَ لَهُمْ أَمْ لَمْ تَسْتَغْفِرْ لَهُمْ لَنْ يَغْفِرَ اللَّهُ لَهُمْ ۚ إِنَّ اللَّهَ لَا يَهْدِي الْقَوْمَ الْفَاسِقِينَ 6
तो तुम उनकी मग़फेरत की दुआ माँगो या न माँगो उनके हक़ में बराबर है (क्यों कि) ख़ुदा तो उन्हें हरगिज़ बख्शेगा नहीं ख़ुदा तो हरगिज़ बदकारों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता