يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا هَلْ أَدُلُّكُمْ عَلَىٰ تِجَارَةٍ تُنْجِيكُمْ مِنْ عَذَابٍ أَلِيمٍ 10
ऐ ईमानदारों क्या मैं नहीं ऐसी तिजारत बता दूँ जो तुमको (आख़ेरत के) दर्दनाक अज़ाब से निजात दे