انْظُرْ كَيْفَ يَفْتَرُونَ عَلَى اللَّهِ الْكَذِبَ ۖ وَكَفَىٰ بِهِ إِثْمًا مُبِينًا 50
(ऐ रसूल) ज़रा देखो तो ये लोग ख़ुदा पर कैसे कैसे झूठ तूफ़ान जोड़ते हैं और खुल्लम खुल्ला गुनाह के वास्ते तो यही काफ़ी है