أَلَمْ تَرَ إِلَى الَّذِينَ أُوتُوا نَصِيبًا مِنَ الْكِتَابِ يَشْتَرُونَ الضَّلَالَةَ وَيُرِيدُونَ أَنْ تَضِلُّوا السَّبِيلَ 44
(ऐ रसूल) क्या तूमने उन लोगों के हाल पर नज़र नहीं की जिन्हें किताबे ख़ुदा का कुछ हिस्सा दिया गया था (मगर) वह लोग (हिदायत के बदले) गुमराही ख़रीदने लगे उनकी ऐन मुराद यह है कि तुम भी राहे रास्त से बहक जाओ