وَلَا تَتَمَنَّوْا مَا فَضَّلَ اللَّهُ بِهِ بَعْضَكُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ ۚ لِلرِّجَالِ نَصِيبٌ مِمَّا اكْتَسَبُوا ۖ وَلِلنِّسَاءِ نَصِيبٌ مِمَّا اكْتَسَبْنَ ۚ وَاسْأَلُوا اللَّهَ مِنْ فَضْلِهِ ۗ إِنَّ اللَّهَ كَانَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمًا 32
और ख़ुदा ने जो तुममें से एक दूसरे पर तरजीह दी है उसकी हवस न करो (क्योंकि फ़ज़ीलत तो आमाल से है) मर्दो को अपने किए का हिस्सा है और औरतों को अपने किए का हिस्सा और ये और बात है कि तुम ख़ुदा से उसके फज़ल व करम की ख्वाहिश करो ख़ुदा तो हर चीज़े से वाक़िफ़ है