لَنْ يَسْتَنْكِفَ الْمَسِيحُ أَنْ يَكُونَ عَبْدًا لِلَّهِ وَلَا الْمَلَائِكَةُ الْمُقَرَّبُونَ ۚ وَمَنْ يَسْتَنْكِفْ عَنْ عِبَادَتِهِ وَيَسْتَكْبِرْ فَسَيَحْشُرُهُمْ إِلَيْهِ جَمِيعًا 172
न तो मसीह ही ख़ुदा का बन्दा होने से हरगिज़ इन्कार कर सकते हैं और न (ख़ुदा के) मुक़र्रर फ़रिश्ते और (याद रहे) जो शख्स उसके बन्दा होने से इन्कार करेगा और शेख़ी करेगा तो अनक़रीब ही ख़ुदा उन सबको अपनी तरफ़ उठा लेगा (और हर एक को उसके काम की सज़ा देगा)