وَقَالَتْ طَائِفَةٌ مِنْ أَهْلِ الْكِتَابِ آمِنُوا بِالَّذِي أُنْزِلَ عَلَى الَّذِينَ آمَنُوا وَجْهَ النَّهَارِ وَاكْفُرُوا آخِرَهُ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ 72
और अहले किताब से एक गिरोह ने (अपने लोगों से) कहा कि मुसलमानों पर जो किताब नाज़िल हुईहै उसपर सुबह सवेरे ईमान लाओ और आख़िर वक्त ऌन्कार कर दिया करो शायद मुसलमान (इसी तदबीर से अपने दीन से) फिर जाए