مَا أَنْزَلْنَا عَلَيْكَ الْقُرْآنَ لِتَشْقَىٰ 2
हमने तुम पर कुरान इसलिए नाज़िल नहीं किया कि तुम (इस क़दर) मशक्क़त उठाओ