وَإِذْ أَخَذْنَا مِيثَاقَكُمْ لَا تَسْفِكُونَ دِمَاءَكُمْ وَلَا تُخْرِجُونَ أَنْفُسَكُمْ مِنْ دِيَارِكُمْ ثُمَّ أَقْرَرْتُمْ وَأَنْتُمْ تَشْهَدُونَ 84
और (वह वक्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुर्ज़ुगों) से अहद लिया था कि आपस में खूरेज़ियाँ न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुर्जुग़ों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो