और जो (मुशरेकीन) कुछ नहीं जानते कहते हैं कि खुदा हमसे (खुद) कलाम क्यों नहीं करता, या हमारे पास (खुद) कोई निशानी क्यों नहीं आती, इसी तरह उन्हीं की सी बाते वह कर चुके हैं जो उनसे पहले थे उन सब के दिल आपस में मिलते जुलते हैं जो लोग यक़ीन रखते हैं उनको तो अपनी निशानियाँ क्यों साफतौर पर दिखा चुके