और (ऐ रसूल) जो लोग अपने परवरदिगार को सुबह सवेरे और झटपट वक्त शाम को याद करते हैं और उसकी खुशनूदी के ख्वाहाँ हैं उनके उनके साथ तुम खुद (भी) अपने नफस पर जब्र करो और उनकी तरफ से अपनी नज़र (तवज्जो) न फेरो कि तुम दुनिया में ज़िन्दगी की आराइश चाहने लगो और जिसके दिल को हमने (गोया खुद) अपने ज़िक्र से ग़ाफिल कर दिया है और वह अपनी ख्वाहिशे नफसानी के पीछे पड़ा है और उसका काम सरासर ज्यादती है उसका कहना हरगिज़ न मानना