وَقُرْآنًا فَرَقْنَاهُ لِتَقْرَأَهُ عَلَى النَّاسِ عَلَىٰ مُكْثٍ وَنَزَّلْنَاهُ تَنْزِيلًا 106
और क़ुरान को हमने थोड़ा थोड़ा करके इसलिए नाज़िल किया कि तुम लोगों के सामने (ज़रुरत पड़ने पर) मोहलत दे देकर उसको पढ़ दिया करो