مِنْ دُونِهِ ۖ فَكِيدُونِي جَمِيعًا ثُمَّ لَا تُنْظِرُونِ 55
इसमे मै बेज़ार हूँ तो तुम सब के सब मेरे साथ मक्कारी करो और मुझे (दम मारने की) मोहलत भी न दो तो मुझे परवाह नहीं