इन्जीर और ज़ैतून की क़सम
और तूर सीनीन की
وَهَٰذَا الْبَلَدِ الْأَمِينِ 3
और उस अमन वाले शहर (मक्का) की
لَقَدْ خَلَقْنَا الْإِنْسَانَ فِي أَحْسَنِ تَقْوِيمٍ 4
कि हमने इन्सान बहुत अच्छे कैड़े का पैदा किया
ثُمَّ رَدَدْنَاهُ أَسْفَلَ سَافِلِينَ 5
फिर हमने उसे (बूढ़ा करके रफ्ता रफ्ता) पस्त से पस्त हालत की तरफ फेर दिया
إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ فَلَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍ 6
मगर जो लोग ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे उनके लिए तो बे इन्तेहा अज्र व सवाब है
فَمَا يُكَذِّبُكَ بَعْدُ بِالدِّينِ 7
तो (ऐ रसूल) इन दलीलों के बाद तुमको (रोज़े) जज़ा के बारे में कौन झुठला सकता है
أَلَيْسَ اللَّهُ بِأَحْكَمِ الْحَاكِمِينَ 8
क्या ख़ुदा सबसे बड़ा हाकिम नहीं है (हाँ ज़रूर है)