(ये वह वक्त था) जब ख़ुदा ने तुम्हें ख्वाब में कुफ्फ़ार को कम करके दिखलाया था और अगर उनको तुम्हें ज्यादा करते दिखलाता तुम यक़ीनन हिम्मत हार देते और लड़ाई के बारे में झगड़ने लगते मगर ख़ुदा ने इसे (बदनामी) से बचाया इसमें तो शक़ ही नहीं कि वह दिली ख्यालात से वाक़िफ़ है