أَفَلَا يَتُوبُونَ إِلَى اللَّهِ وَيَسْتَغْفِرُونَهُ ۚ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَحِيمٌ 74
तो ये लोग ख़ुदा की बारगाह में तौबा क्यों नहीं करते और अपने (क़सूरों की) माफ़ी क्यों नहीं मॉगते हालॉकि ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है