وَتَرَىٰ كَثِيرًا مِنْهُمْ يُسَارِعُونَ فِي الْإِثْمِ وَالْعُدْوَانِ وَأَكْلِهِمُ السُّحْتَ ۚ لَبِئْسَ مَا كَانُوا يَعْمَلُونَ 62
(ऐ रसूल) तुम उनमें से बहुतेरों को देखोगे कि गुनाह और सरकशी और हरामख़ोरी की तरफ़ दौड़ पड़ते हैं जो काम ये लोग करते थे वह यक़ीनन बहुत बुरा है