أَفَلَا يَتَدَبَّرُونَ الْقُرْآنَ أَمْ عَلَىٰ قُلُوبٍ أَقْفَالُهَا 24
तो क्या लोग क़ुरान में (ज़रा भी) ग़ौर नहीं करते या (उनके) दिलों पर ताले लगे हुए हैं