إِلَّا رَحْمَةً مِنَّا وَمَتَاعًا إِلَىٰ حِينٍ 44
मगर हमारी मेहरबानी से और चूँकि एक (ख़ास) वक्त तक (उनको) चैन करने देना (मंज़ूर) है