الَّذِي أَحَلَّنَا دَارَ الْمُقَامَةِ مِنْ فَضْلِهِ لَا يَمَسُّنَا فِيهَا نَصَبٌ وَلَا يَمَسُّنَا فِيهَا لُغُوبٌ 35
जिसने हमको अपने फज़ल (व करम) से हमेशगी के घर (बेहिश्त) में उतारा (मेहमान किया) जहाँ हमें कोई तकलीफ छुयेगी भी तो नहीं और न कोई थकान ही पहुँचेगी