يَا أَهْلَ الْكِتَابِ لِمَ تُحَاجُّونَ فِي إِبْرَاهِيمَ وَمَا أُنْزِلَتِ التَّوْرَاةُ وَالْإِنْجِيلُ إِلَّا مِنْ بَعْدِهِ ۚ أَفَلَا تَعْقِلُونَ 65
ऐ अहले किताब तुम इबराहीम के बारे में (ख्वाह मा ख्वाह) क्यों झगड़ते हो कि कोई उनको नसरानी कहता है कोई यहूदी हालॉकि तौरेत व इन्जील (जिनसे यहूद व नसारा की इब्तेदा है वह) तो उनके बाद ही नाज़िल हुई