(मुसलमानों तुम) उस वक्त क़ो याद करके शर्माओ जब तुम (बदहवास) भागे पहाड़ पर चले जाते थे पस (चूंकि) रसूल को तुमने (आज़ारदा) किया ख़ुदा ने भी तुमको (इस) रंज की सज़ा में (शिकस्त का) रंज दिया ताकि जब कभी तुम्हारी कोई चीज़ हाथ से जाती रहे या कोई मुसीबत पड़े तो तुम रंज न करो और सब्र करना सीखो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है