فَأَصْبَحَ فِي الْمَدِينَةِ خَائِفًا يَتَرَقَّبُ فَإِذَا الَّذِي اسْتَنْصَرَهُ بِالْأَمْسِ يَسْتَصْرِخُهُ ۚ قَالَ لَهُ مُوسَىٰ إِنَّكَ لَغَوِيٌّ مُبِينٌ 18
ग़रज़ (रात तो जो त्यों गुज़री) सुबह को उम्मीदो बीम की हालत में मूसा शहर में गए तो क्या देखते हैं कि वही शख्स जिसने कल उनसे मदद माँगी थी उनसे (फिर) फरियाद कर रहा है-मूसा ने उससे कहा बेशक तू यक़ीनी खुल्लम खुल्ला गुमराह है