أَلَّا تَعْلُوا عَلَيَّ وَأْتُونِي مُسْلِمِينَ 31
(और मज़मून) यह है कि मुझ से सरकशी न करो और मेरे सामने फरमाबरदार बन कर हाज़िर हो