بَلْ قَالُوا أَضْغَاثُ أَحْلَامٍ بَلِ افْتَرَاهُ بَلْ هُوَ شَاعِرٌ فَلْيَأْتِنَا بِآيَةٍ كَمَا أُرْسِلَ الْأَوَّلُونَ 5
(उस पर भी उन लोगों ने इक्तिफ़ा न की) बल्कि कहने लगे (ये कुरान तो) ख़ाबहाय परीशाँ का मजमूआ है बल्कि उसने खुद अपने जी से झूट-मूट गढ़ लिया है बल्कि ये शख्स शायर है और अगर हक़ीकतन रसूल है) तो जिस तरह अगले पैग़म्बर मौजिज़ों के साथ भेजे गए थे