وَقَالُوا لَوْلَا يَأْتِينَا بِآيَةٍ مِنْ رَبِّهِ ۚ أَوَلَمْ تَأْتِهِمْ بَيِّنَةُ مَا فِي الصُّحُفِ الْأُولَىٰ 133
और (अहले मक्का) कहते हैं कि अपने परवरदिगार की तरफ से हमारे पास कोई मौजिज़ा हमारी मर्ज़ी के मुवाफिक़ क्यों नहीं लाते तो क्या जो (पेशीव गोइयाँ) अगली किताबों (तौरेत, इन्जील) में (इसकी) गवाह हैं वह भी उनके पास नहीं पहुँची