صُمٌّ بُكْمٌ عُمْيٌ فَهُمْ لَا يَرْجِعُونَ 18
कि अब उन्हें कुछ सुझाई नहीं देता ये लोग बहरे गूँगे अन्धे हैं कि फिर अपनी गुमराही से बाज़ नहीं आ सकते