وَأَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَآتُوا الزَّكَاةَ ۚ وَمَا تُقَدِّمُوا لِأَنْفُسِكُمْ مِنْ خَيْرٍ تَجِدُوهُ عِنْدَ اللَّهِ ۗ إِنَّ اللَّهَ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ 110
और नमाज़ पढ़ते रहो और ज़कात दिये जाओ और जो कुछ भलाई अपने लिए (खुदा के यहाँ) पहले से भेज दोगे उस (के सवाब) को मौजूद पाआगे जो कुछ तुम करते हो उसे खुदा ज़रूर देख रहा है