وَلَا تَقْتُلُوا النَّفْسَ الَّتِي حَرَّمَ اللَّهُ إِلَّا بِالْحَقِّ ۗ وَمَنْ قُتِلَ مَظْلُومًا فَقَدْ جَعَلْنَا لِوَلِيِّهِ سُلْطَانًا فَلَا يُسْرِفْ فِي الْقَتْلِ ۖ إِنَّهُ كَانَ مَنْصُورًا 33
और जिस जान का मारना ख़ुदा ने हराम कर दिया है उसके क़त्ल न करना मगर जायज़ तौर पर और जो शख़्श नाहक़ मारा जाए तो हमने उसके वारिस को (क़ातिल पर क़सास का क़ाबू दिया है तो उसे चाहिए कि क़त्ल (ख़ून का बदला लेने) में ज्यादती न करे बेशक वह मदद दिया जाएगा