وَقَدْ مَكَرُوا مَكْرَهُمْ وَعِنْدَ اللَّهِ مَكْرُهُمْ وَإِنْ كَانَ مَكْرُهُمْ لِتَزُولَ مِنْهُ الْجِبَالُ 46
और वह लोग अपनी चालें चलते हैं (और कभी बाज़ न आए) हालॉकि उनकी सब हालतें खुदा की नज़र में थी और अगरचे उनकी मक्कारियाँ (उस गज़ब की) थीं कि उन से पहाड़ (अपनी जगह से) हट जाये