قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ الْفَلَقِ 1
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं सुबह के मालिक की
हर चीज़ की बुराई से जो उसने पैदा की पनाह माँगता हूँ
وَمِنْ شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ 3
और अंधेरीरात की बुराई से जब उसका अंधेरा छा जाए
وَمِنْ شَرِّ النَّفَّاثَاتِ فِي الْعُقَدِ 4
और गन्डों पर फूँकने वालियों की बुराई से
وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ 5
(जब फूँके) और हसद करने वाले की बुराई से