وَلَئِنْ أَذَقْنَا الْإِنْسَانَ مِنَّا رَحْمَةً ثُمَّ نَزَعْنَاهَا مِنْهُ إِنَّهُ لَيَئُوسٌ كَفُورٌ 9
और अगर हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखाएं फिर उसको हम उससे छीन लें तो (उस वक्त) यक़ीनन बड़ा बेआस और नाशुक्रा हो जाता है