وَلَوْ شَاءَ رَبُّكَ لَجَعَلَ النَّاسَ أُمَّةً وَاحِدَةً ۖ وَلَا يَزَالُونَ مُخْتَلِفِينَ 118
और अगर तुम्हारा परवरदिगार चाहता तो बेशक तमाम लोगों को एक ही (किस्म की) उम्मत बना देता (मगर) उसने न चाहा इसी (वजह से) लोग हमेशा आपस में फूट डाला करेगें