أَرَأَيْتَ الَّذِي يُكَذِّبُ بِالدِّينِ 1
क्या तुमने उस शख़्श को भी देखा है जो रोज़ जज़ा को झुठलाता है
فَذَٰلِكَ الَّذِي يَدُعُّ الْيَتِيمَ 2
ये तो वही (कम्बख्त) है जो यतीम को धक्के देता है
وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ الْمِسْكِينِ 3
और मोहताजों को खिलाने के लिए (लोगों को) आमादा नहीं करता
तो उन नमाज़ियों की तबाही है
الَّذِينَ هُمْ عَنْ صَلَاتِهِمْ سَاهُونَ 5
जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल रहते हैं
जो दिखाने के वास्ते करते हैं
और रोज़मर्रा की मालूली चीज़ें भी आरियत नहीं देते