नमाज़े अस्र की क़सम
إِنَّ الْإِنْسَانَ لَفِي خُسْرٍ 2
बेशक इन्सान घाटे में है
إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَتَوَاصَوْا بِالْحَقِّ وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ 3
मगर जो लोग ईमान लाए, और अच्छे काम करते रहे और आपस में हक़ का हुक्म और सब्र की वसीयत करते रहे