Translation Surah Muhammad Ayat 4

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

فَإِذَا لَقِيتُمُ الَّذِينَ كَفَرُوا فَضَرْبَ الرِّقَابِ حَتَّىٰ إِذَا أَثْخَنْتُمُوهُمْ فَشُدُّوا الْوَثَاقَ فَإِمَّا مَنًّا بَعْدُ وَإِمَّا فِدَاءً حَتَّىٰ تَضَعَ الْحَرْبُ أَوْزَارَهَا ۚ ذَٰلِكَ وَلَوْ يَشَاءُ اللَّهُ لَانْتَصَرَ مِنْهُمْ وَلَٰكِنْ لِيَبْلُوَ بَعْضَكُمْ بِبَعْضٍ ۗ وَالَّذِينَ قُتِلُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ فَلَنْ يُضِلَّ أَعْمَالَهُمْ 4

तो जब तुम काफिरों से भिड़ो तो (उनकी) गर्दनें मारो यहाँ तक कि जब तुम उन्हें ज़ख्मों से चूर कर डालो तो उनकी मुश्कें कस लो फिर उसके बाद या तो एहसान रख (कर छोड़ दे) या मुआवेज़ा लेकर, यहाँ तक कि (दुशमन) लड़ाई के हथियार रख दे तो (याद रखो) अगर ख़ुदा चाहता तो (और तरह) उनसे बदला लेता मगर उसने चाहा कि तुम्हारी आज़माइश एक दूसरे से (लड़वा कर) करे और जो लोग ख़ुदा की राह में यहीद किये गए उनकी कारगुज़ारियों को ख़ुदा हरगिज़ अकारत न करेगा