Translation Surah Ash-Shura Ayat 48

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

فَإِنْ أَعْرَضُوا فَمَا أَرْسَلْنَاكَ عَلَيْهِمْ حَفِيظًا ۖ إِنْ عَلَيْكَ إِلَّا الْبَلَاغُ ۗ وَإِنَّا إِذَا أَذَقْنَا الْإِنْسَانَ مِنَّا رَحْمَةً فَرِحَ بِهَا ۖ وَإِنْ تُصِبْهُمْ سَيِّئَةٌ بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيهِمْ فَإِنَّ الْإِنْسَانَ كَفُورٌ 48

फिर अगर मुँह फेर लें तो (ऐ रसूल) हमने तुमको उनका निगेहबान बनाकर नहीं भेजा तुम्हारा काम तो सिर्फ (एहकाम का) पहुँचा देना है और जब हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखाते हैं तो वह उससे ख़ुश हो जाता है और अगर उनको उन्हीं के हाथों की पहली करतूतों की बदौलत कोई तकलीफ पहुँचती (सब एहसान भूल गए) बेशक इन्सान बड़ा नाशुक्रा है