Translation Surah Ash-Shura Ayat 21

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

أَمْ لَهُمْ شُرَكَاءُ شَرَعُوا لَهُمْ مِنَ الدِّينِ مَا لَمْ يَأْذَنْ بِهِ اللَّهُ ۚ وَلَوْلَا كَلِمَةُ الْفَصْلِ لَقُضِيَ بَيْنَهُمْ ۗ وَإِنَّ الظَّالِمِينَ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ 21

क्या उन लोगों के (बनाए हुए) ऐसे शरीक हैं जिन्होंने उनके लिए ऐसा दीन मुक़र्रर किया है जिसकी ख़ुदा ने इजाज़त नहीं दी और अगर फ़ैसले (के दिन) का वायदा न होता तो उनमें यक़ीनी अब तक फैसला हो चुका होता और ज़ालिमों के वास्ते ज़रूर दर्दनाक अज़ाब है