Translation Surah Az-Zumar Ayat 29

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

ضَرَبَ اللَّهُ مَثَلًا رَجُلًا فِيهِ شُرَكَاءُ مُتَشَاكِسُونَ وَرَجُلًا سَلَمًا لِرَجُلٍ هَلْ يَسْتَوِيَانِ مَثَلًا ۚ الْحَمْدُ لِلَّهِ ۚ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُونَ 29

ताकि ये लोग (समझकर) खुदा से डरे ख़ुदा ने एक मिसाल बयान की है कि एक शख्स (ग़ुलाम) है जिसमें कई झगड़ालू साझी हैं और एक ज़ालिम है कि पूरा एक शख्स का है उन दोनों की हालत यकसाँ हो सकती हैं (हरगिज़ नहीं) अल्हमदोलिल्लाह मगर उनमें अक्सर इतना भी नहीं जानते