Translation Surah Al-Ahzab Ayat 51

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

تُرْجِي مَنْ تَشَاءُ مِنْهُنَّ وَتُؤْوِي إِلَيْكَ مَنْ تَشَاءُ ۖ وَمَنِ ابْتَغَيْتَ مِمَّنْ عَزَلْتَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكَ ۚ ذَٰلِكَ أَدْنَىٰ أَنْ تَقَرَّ أَعْيُنُهُنَّ وَلَا يَحْزَنَّ وَيَرْضَيْنَ بِمَا آتَيْتَهُنَّ كُلُّهُنَّ ۚ وَاللَّهُ يَعْلَمُ مَا فِي قُلُوبِكُمْ ۚ وَكَانَ اللَّهُ عَلِيمًا حَلِيمًا 51

इनमें से जिसको (जब) चाहो अलग कर दो और जिसको (जब तक) चाहो अपने पास रखो और जिन औरतों को तुमने अलग कर दिया था अगर फिर तुम उनके ख्वाहॉ हो तो भी तुम पर कोई मज़ाएक़ा नहीं है ये (अख़तेयार जो तुमको दिया गया है) ज़रूर इस क़ाबिल है कि तुम्हारी बीवियों की ऑंखें ठन्डी रहे और आर्जूदा ख़ातिर न हो और वो कुछ तुम उन्हें दे दो सबकी सब उस पर राज़ी रहें और जो कुछ तुम्हारे दिलों में है खुदा उसको ख़ुब जानता है और खुदा तो बड़ा वाक़िफकार बुर्दबार है