Translation Surah Al-Imran Ayat 180

Translation Suhel Farooq Khan (Suhel Farooq Khan)

وَلَا يَحْسَبَنَّ الَّذِينَ يَبْخَلُونَ بِمَا آتَاهُمُ اللَّهُ مِنْ فَضْلِهِ هُوَ خَيْرًا لَهُمْ ۖ بَلْ هُوَ شَرٌّ لَهُمْ ۖ سَيُطَوَّقُونَ مَا بَخِلُوا بِهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ وَلِلَّهِ مِيرَاثُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۗ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ 180

और जिन लोगों को ख़ुदा ने अपने फ़ज़ल (व करम) से कुछ दिया है (और फिर) बुख्ल करते हैं वह हरगिज़ इस ख्याल में न रहें कि ये उनके लिए (कुछ) बेहतर होगा बल्कि ये उनके हक़ में बदतर है क्योंकि जिस (माल) का बुख्ल करते हैं अनक़रीब ही क़यामत के दिन उसका तौक़ बनाकर उनके गले में पहनाया जाएगा और सारे आसमान व ज़मीन की मीरास ख़ुदा ही की है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़बरदार है